ठंडी शुरू हो गयी है और इस सीजन में ठण्ड के साथ साथ कई बीमारियों का भी आगमन होने लगता है। ठंडी बढ़ने पर काफी सावधानी बरतने की जरुरत होती है नहीं तो कई तरह की परेशानिओं का सामना करना पड़ सकता है। इन्ही परेशानियों में से एक है हाथ और पैरों की उँगलियों का सूजन और लाल होना। वैसे तो यह बहुत ही सामान्य बीमारी होती है पर बहुत ही तकलीफदेह होतो है। इससे पीड़ित व्यक्ति को काम करने में खासकर जिसमे उँगलियों का प्रयोग करना हो, बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
बिवाई या चिलब्लेंस क्या होता है
ठण्ड के मौसम में हाथ और पैरों की उँगलियों का इस तरह से असामान्य रूप से लाल होने की अवस्था को सामान्य बोलचाल की भाषा में बिवाई कहा जाता है। इसे पर्नियो भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इस बीमारी को चिलब्लेंस कहते हैं।
बिवाई या चिलब्लेंस के लक्षण
- हाथ और पैरों की उँगलियों में सूजन आना
- सूजन वाली जगह का लाल या नीला होना
- कभी कभी उँगलियों में फफोले भी हो जाते हैं
- सूजन वाली जगह पर जलन और खुजली होना
- समस्या बढ़ने पर प्रभावित क्षेत्र में छाले और घाव का होना
- प्रभावित अंगों को एकाएक गर्म करने पर उसमे चुनचुनी या झुनझुनी होना
बिवाई या चिलब्लेंस से प्रभावित अंग
बिवाई या चिलब्लेंस में मुख्य रूप से हाथ और पैर की उंगलियां प्रभावित होती है। इसके अलावा यह नाक के अगले हिस्से, कान इत्यादि के आसपास होता है। शरीर के वे अंग जो सीधे ठण्ड के संपर्क में आते हैं इससे प्रभावित हो जाते हैं।

बिवाई किनको होता है
बिवाई किसी को भी हो सकता है पर यह ज्यादातर महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को होता है। इसके अलावा ऐसे लोग जिनका हमेशा ठण्ड से सीधा संपर्क होता है या ऐसे लोग जिन्हे ठंडे पानी के संपर्क में काम करना पड़ता है, अकसर इसका शिकार हो जाते हैं। सामान्य से कम शारीरिक वजन भी इसका एक कारण माना जाता है। आर्द्र और ठण्ड प्रदेशों में रहने वाले लोग शुष्क और ठण्ड प्रदेशों के मुकाबले इसके ज्यादा शिकार होते हैं।
बिवाई के कारण
बिवाई अक्सर ठण्ड के बढ़ने के साथ ही होता है। ठण्ड बढ़ने की वजह से ठण्ड में एक्सपोज होने वाले या ठण्ड के सीधे संपर्क में आने वाले अंगों में रक्त केशिकाएं अत्यधिक कम तापमान की वजह से सिकुड़ कर पतली हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में जब वे एकाएक गर्म तापमान के संपर्क में आती हैं तो वे फैलने लगती हैं और इस वजह से उत्तकों में स्राव होने लगता है और यह बिवाई का कारण बनता है।

उपचार
आमतौर पर बिवाई का कोई इलाज नहीं होता है। यह दस से पंद्रह दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। किन्तु जब ज्यादा जलन या खुजली हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर प्रायः जलन और खुजली कम करने की दवा के साथ साथ कुछ एंटीबायोटिक का प्रयोग करते हैं। कई बार लोग तेल लगाकर इसे आग में सकते हैं। ऐसा करने से खुजली और जलन और भी बढ़ जाती है। यदि ऐसा करना चाहते हों तो पहले गर्म कपडे में प्रभावित अंग को लपेटें , फिर थोड़ी देर के बाद जब उसमे गर्माहट आ जाये तब ही उसे आग से सेंके। ऐसा इसलिए क्योंकि सीधे ठण्ड से एकाएक गर्म वातावरण में प्रभावित अंग को ले जाने से चिलब्लेंस सिकुड़ी हुई रक्त केशिकाएं एकाएक फैलती हैं और स्राव बढ़ जाता है।
बचाव तथा सावधानिया
जिनलोगों को अकसर ठण्ड के मौसम में इस बीमारी की शिकायत रहती है उनको ख़ासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे लोगों को गर्म मोज़े और दस्ताने का प्रयोग करना चाहिए। खाना वगैरह पकाने और बरतन साफ़ करने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करना चाहिए। यदि अत्यधिक ठंडी से संपर्क हुआ हो तो एकाएक अपने हाथ पाँव गर्म नहीं करने चाहिए। इसके साथ ही उँगलियों के कुछ व्यायाम भी करने चाहिए जिससे कि रक्त संचरण सुचारु रूप से बना रहे।
इस तरह कुछ सावधानियां बरत कर चिलब्लेंस की पीड़ा से बचा जा सकता है।
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